आज की रात सो गया है वक़्त भी थक के,
खुद ही करवटें लेता है,
और बल पड़ जाते हैं खुद ही में !
लगता है इस रात की सुबह नहीं,
और ढल जाएगी इक ओर सांझ में !
खुद ही करवटें लेता है,
और बल पड़ जाते हैं खुद ही में !
लगता है इस रात की सुबह नहीं,
और ढल जाएगी इक ओर सांझ में !
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