के मैं लिखूं, तुम मिटाओ,
और लहरें तरस जाएं अपने हक़ को !
गीली रेत के नीचे आज भी जाने कितना अनकहा छुपा होगा !!
और लहरें तरस जाएं अपने हक़ को !
गीली रेत के नीचे आज भी जाने कितना अनकहा छुपा होगा !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Saturday, 20 June 2015 at 12:27
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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