ज़िमेदारियां निभाता है, रिश्तों में मानता नहीं !
वो रोज़ा निभाता है, पर इफ्तारी में मानता नहीं !!
वो रोज़ा निभाता है, पर इफ्तारी में मानता नहीं !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Friday, 26 June 2015 at 22:57
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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