अब निगाहें चुरा लेते हैं, जब देखते हैं !
शायद मेरी निगाहों के लाड ही ने शरारती बना दिया होगा !!
शायद मेरी निगाहों के लाड ही ने शरारती बना दिया होगा !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Tuesday, 2 June 2015 at 22:03
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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