मैं ढूंढता हूं तुम्हे अपने हर ख्वाब में,
और तह लगा के रख देता हूं हर सुबह सब ख्वाब,
डायरी के उस पन्ने के नीचे,
जिसे तुमने उस दिन चुपके से पढ़ लिया था जब मैं सो रहा था !
जिसमे तुमसे पहली मुलाकात का ज़िक्र था !!
और तह लगा के रख देता हूं हर सुबह सब ख्वाब,
डायरी के उस पन्ने के नीचे,
जिसे तुमने उस दिन चुपके से पढ़ लिया था जब मैं सो रहा था !
जिसमे तुमसे पहली मुलाकात का ज़िक्र था !!
0 comments:
Post a Comment