किसी को जान लेना काफ़ी है मोहब्बत के लिए,
या मोहब्बत काफ़ी है किसी को जान लेने के लिए !
इस समझ से मैं ढोर हूं मगर मोहब्बत समझता हूं,
जैसे रात समझती है रोशनी को, रोशनी से जुदा रह के भी !!
या मोहब्बत काफ़ी है किसी को जान लेने के लिए !
इस समझ से मैं ढोर हूं मगर मोहब्बत समझता हूं,
जैसे रात समझती है रोशनी को, रोशनी से जुदा रह के भी !!
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