वो मुंह पे रख लेती है हाथ जब हँसती है,
जैसे डर हो कोई छीन लेगा जो मिला है किस्मत के कोई इतेफ़ाक़ से !
और वो क़ैद कर लेता है वो हँसी ज़हन में उसके ढंकने से पहेले,
जैसे फिर मिलना मुश्किल होगा जो मिला है किस्मत के कोई इतेफ़ाक़ से !!
जैसे डर हो कोई छीन लेगा जो मिला है किस्मत के कोई इतेफ़ाक़ से !
और वो क़ैद कर लेता है वो हँसी ज़हन में उसके ढंकने से पहेले,
जैसे फिर मिलना मुश्किल होगा जो मिला है किस्मत के कोई इतेफ़ाक़ से !!
0 comments:
Post a Comment