रुखसती

कोई रुखसती के वक़्त रख लेता है सब आंसू,
एक संदूकड़ी में दिल की परछत्ती पर !
समंदर किनारे हर शाम,
लहरों के ज़ोर से तोलता है आँसुओ की शिद्दत !
और फिर संभाल के रख देता है वापिस,
आने वाली कई शामों के लिए !


बोलो, कभी तुमने देखा मेरा कोई आंसू ?

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