कोई बरसों मलहम लगाता रहता है,
लिफाफों में लपेटे उन ज़ख़्मों को,
जो उसने कुछ लम्हों के दायरे में,
बांध दिए थे खत की एक कन्नी से !
और दूसरी कन्नी से झर झर बहता हुआ एक आंसू !!
लिफाफों में लपेटे उन ज़ख़्मों को,
जो उसने कुछ लम्हों के दायरे में,
बांध दिए थे खत की एक कन्नी से !
और दूसरी कन्नी से झर झर बहता हुआ एक आंसू !!
0 comments:
Post a Comment