याद है हमारी पहली काग़ज़ की कश्ती,
कैसे बारिश के थपेड़ों से जूझती,
धार के उस पार लग ही गयी थी !
और उसी खेल को खेल खेल में,
हमने दे दिया था friendship का नाम !
कैसे बारिश के थपेड़ों से जूझती,
धार के उस पार लग ही गयी थी !
और उसी खेल को खेल खेल में,
हमने दे दिया था friendship का नाम !
मोहब्बत को मंज़िलें मिलें ना मिलें,
दोस्ती को रास्ता मिल ही जाता है !!
खुशकिस्मती है, दोस्ती का सिर्फ़ राह होता है, मंज़िलें नहीं !
दोस्ती को रास्ता मिल ही जाता है !!
खुशकिस्मती है, दोस्ती का सिर्फ़ राह होता है, मंज़िलें नहीं !
0 comments:
Post a Comment