मैने रोशणीओं को फेंका था खिड़की से बाहर आज,
मगर बाहर का अंधेरा अंदर चला आया !
तन्हा रहने की चाहत हालातों से हार जाती है अक्सर !!
मगर बाहर का अंधेरा अंदर चला आया !
तन्हा रहने की चाहत हालातों से हार जाती है अक्सर !!
the pursuit of reason... the fight with self...
Posted by Sukesh Kumar Sunday, 9 August 2015 at 12:02
Labels: मेरा जीवन-मेरी कविता (My Life-My Verse)
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