आगाज़

सोचो, किसने सोचा है कभी दिल लगाने से पहेले !
यारा, मोमबत्तियां कहां टपकती हैं, जलने से पहेले !!

अंज़ाम-ए-इश्क़ का फ़ैसला हो जाता आगाज़-ए-इश्क़ पे ही !!

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